NEWS -03-09-2020-B

संभागीय जनसम्पर्क कार्यालय जबलपुर

मध्य प्रदेश शासन

समाचार

सोयाबीन के किसानों के लिए समसामायिक सलाह

जबलपुर, 03 सितंबर, 2020

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर द्वारा सितंबर के प्रथम सप्ताह में सोयाबीन के कृषकों के लिए समसामायिक साप्ताहिक सलाह दी गई है।

सोयाबीन कृषकों के लिए साप्ताहिक सलाह- विगत सप्ताह में हुई भारी वर्षा के पश्चात विभिन्न क्षेत्रों के कृषकों द्वारा सोयाबीन की फसल में अचानक से पीली पडऩे एवं सूखने की सूचना प्राप्त हो रही है। इस समस्या के प्रमुख कारण एव नियंत्रण के उपाय निम्नानुसार हैं-

सोयाबीन में इस वर्ष तना मक्खी एव गर्डल बीटल का प्रकोप देखा गया है। सेमीलूपर की दूसरी पीढ़ी की इल्लियों का प्रकोप भी अधिक देखने में आ रहा है जो पत्तियों के साथ-साथ फलियों को भी क्षति पहुंचा रही हैं।

वर्षा के पश्चात अनुकूल मौसम के कारण सोयाबीन में एन्थ्रेकनोज एवं राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट नामक रोगों का संक्रमण बहुत तेजी से फैला है जिसके कारण सोयाबीन के पौधे सूखने लग रहे है।

यह समस्या जल्दी पकने वाली प्रजातियों में ज्यादा देखी जा रही है जो कि परिपक्वता की स्थिति में है। इसके अतिरिक्त जहां भी तना मक्खी की इल्ली ने तने में 25 प्रतिशत से अधिक सुरंग बना ली है और जहां गर्डल बीटल की इल्ली पूर्ण विकसित (लगभग पौन इंच) हो गई है, वहां रसायनों के छिड़काव के पश्चात भी आर्थिक लाभ होने की संभावना कम है।

मध्यम एवं देरी से पकने वाली सोयाबीन प्रजातियों में या जहां कीट व रोग प्रारंभिक अवस्था में हैं, इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने जो उपाय सुझाए हैं उनमें तना मक्खी एवं गर्डल बीटल के नियन्त्रण हेतु कृषकों को सलाह है कि नियंत्रण हेतु बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड 360 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या थायमिथ्रोक्सम+लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 मि.ली. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। जहां केबल सेमीलूपर इल्लियों का प्रकोप हो रहा है, वहां लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 एससी. (300 मि.ली./हेक्टे.) या इन्डोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मिली/हे.) या पलूबेन्डियामाईड 39.36 एससी (150 मिली/हेक्टे) या फ्लूबेन्डियामाईड 20 डब्ल्यू.जी. (275 मि.ली./हेक्टे) का छिड़काव करें।

एन्थ्रेकनोज एवं राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट नामक रोगों के नियन्त्रण हेतु टेबूकोनाझोल (625 मिली/हे.) अथवा टेबूकोनाझोल+सल्फर (1 कि.ग्रा./हे.) अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यू.जी. (500 ग्रा/हे) अथवा हेक्जाकोनाझोल 5 ई.सी. (800 मि.ली./हे.) से छिडकाव करें।

चूंकि सोयाबीन की फसल अब लगभग 70 दिन की और घनी हो चुकी है। अत: रसायनों का अपेक्षित प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए 500 ली. पानी प्रति हेक्टे. का प्रयोग अवश्य करें। जिन क्षेत्रों में अभी भी जल भराव की स्थिति है। उन्हें सलाह है कि शीघ्रातिशीघ्र अतिरिक्त जल निकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें।

मौसम विभाग से प्राप्त जलवायु संबंधित आंकड़ों के आधार पर आने वाले कुछ दिनों में दिये गये जिलों व क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर कीटों का प्रकोप होने की संभावना है, कृषकों को सलाह है कि कीटनाशकों का छिड़काव कर कीट नियंत्रण करें।

सोयाबीन की फसल में विभिन्न कीटों के नियंत्रण हेतु अनुशंसित कीटनाशकों में नीला भंृग कीट के लिए क्विनालफॉस 25 ईसी 1500 मिली/हेक्टे., तना मक्खी के लिए थायमिथोक्सम 30 एफएस से बीजोपचार 10 मिली/कि.ग्रा. बीज, लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 सीएस 300 मिली/हेक्टे. और पूर्व मिश्रित लेम्बडा सायहेलोथ्रिन+थायमिथोक्सम 125 मिली/हेक्टे. का छिड़काव करें।

किसान सफेद मक्खी से रोकथाम के लिए थायमिथोक्सम 30 एफएस 10 मिली/किग्रा बीज इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस 1.25 मिली/किग्रा बीज और बीटासायफ्लुथ्रिन 8.49+इमिडाक्लोप्रिड 19.81. प्रतिशत ओडी 350 मिली/हेक्टे. का प्रयोग करें, क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5एससी 100 मिली/हेक्टे., इन्डोक्साकार्ब 15.8 ईसी 333 मिली/हेक्टे., प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1250 मिली/हेक्टे., क्विनालफॉस 25 ईसी 1500 मिली/हेक्टे., ट्रायझोफॉस 40 ईसी 800 मिली/हेक्टे. तथा स्पायनेटोरम 11.7 एससी 450 मिली/हेक्टे., बीटासायफ्लुथ्रिन 8.49+इमिडाक्लोप्रिड 19.81 प्रतिशत ओडी 350 मिली/हेक्टे., फ्लूबेडियामाइड 39.35 एससी 150 मिली/हेक्टे., फ्लूबेडियामाइड 20 डब्ल्यूजी 250-300 मिली/हेक्टे., लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 सीएस 300 मिली/हेक्टे. और पूर्व मिश्रित लैम्बडा सायहेलोथ्रिन+थायमिथोक्सम 125 मिली/हेक्टे. का छिड़काव करें।

इसके अलावा गर्डल बीटल के लिए थायक्लोप्रिड 21.7 एससी 750 ली./हेक्टे., प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1250 मिली/हेक्टे., ट्रायझोफॉस 40 ईसी 800 मिली/हेक्टे., बीटासायफ्लुथ्रिन 8.49+इमिडाक्लोप्रिड 19.81 ओडी 350 मिली/हेक्टे. तथा पूर्व मिश्रित लैम्बडा सायहेलोथ्रिन+थायमिथोक्सम 125 मिली/हेक्टे. और चने की इल्ली से बचाव हेतु प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1250 मिली/हेक्टे., क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी 100 मिली/हेक्टे. तथा इंडोक्साकार्ब 15.8 एससी 333 मिली/हेक्टे. का छिड़काव करें।

क्रमांक/5581/सितंबर-29/मनोज

 अस्पतालों को ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति में प्राथमिकता दें-कलेक्टर

श्री शर्मा ने किया ऑक्सीजन उत्पादन इकाई का निरीक्षण किया

    जबलपुर, 03 सितंबर, 2020

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने आज शाम  औद्योगिक क्षेत्र रिछाई स्थित आदित्य एयर प्रोडक्ट का निरीक्षण कर ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली इस इकाई से ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति में मेडिकल सेक्टर को प्राथमिकता देने के निर्देश दिये हैं । श्री शर्मा ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुये शासकीय हो या निजी किसी भी अस्पताल को ऑक्सीजन की आपूर्ति में रुकावट नहीं आनी चाहिये।                 

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर श्री शर्मा ने आदित्य एयर प्रोडक्ट की उत्पादन और भंडारण क्षमता का जायजा भी लिया। उन्होंने इस इकाई से ऑक्सीजन की आपूर्ति पर नजर रखने के निर्देश दिये। श्री शर्मा ने कहा कि फैक्ट्री से अस्पताल के नाम से निकले सिलेंडर अस्पताल ही पहुँचने चाहिये, उनका व्यावसायिक इस्तेमाल न हो इसे हर हाल में सुनिश्चित किया जाना चाहिये। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर के साथ अपर कलेक्टर हर्ष दीक्षित, एसडीएम राँझी दिव्या अवस्थी एवं उद्योग विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

क्रमांक/5582/सितंबर-30/मनोज

 सिविल डिफेंस कर्मियों ने दी सराहनीय सेवाएं

जबलपुर, 03 सितंबर, 2020

बरगी बांध से पानी छोड़े जानी के दौरान नर्मदा नदी के जलस्तर में वृद्धि के समय सिविल डिफेंस के वार्डनों ने लोगों को नर्मदा तटों से दूर रहने की समझाइश देकर सराहनीय कार्य किया है। सिविल वार्डनों की वजह से ही नर्मदा के किसी घाट में कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।

कलेक्टर एवं कंट्रोलर सिविल डिफेंस श्री कर्मवीर शर्मा के मार्गदर्शन मं सिविल डिफेंस के वार्डन सुनील गर्ग, क्रिस्टोफर, जगदीप ब्रम्हवंशी, रूपेन्द्र, अमित तिवारी, आरती चौधरी ने ग्वारीघाट, जिलहरीघाट सहित नर्मदा के अन्य तटों में अपनी सक्रिय सेवाएं दीं।

क्रमांक/5583/सितंबर-31/मनोज