News.30.12.2019_B


संभागीय जनसम्पर्क कार्यालय जबलपुर
मध्य प्रदेश शासन
समाचार
निराश्रित गौवंश के लिए गौशालाओं का निर्माण शासन की प्राथमिकता - पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव
जबलपुर, 30 दिसंबर, 2019
पशुपालन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास मंत्री लाखन सिंह यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री गौसेवा योजना के अंतर्गत इस वर्ष स्वीकृत सभी गौशालाओं का निर्माण जनवरी 2020 तक अनिवार्य रूप से पूर्ण किया जाए और इनमें निराश्रित गौवंश को रखकर बेहतर संचालन सुनिश्चित किया जाए। प्रत्येक गौशाला के लिए पांच एकड़ क्षेत्र को चारागाह के लिए विकसित किया जाए। यह योजना राज्य शासन की प्राथमिकता में शामिल है। अत: इसके क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान दिया जाए।
संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक में विधायक संजय यादव, अपर मुख्य सचिव पशुपालन एवं ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव, संभागायुक्त रविन्द्र कुमार मिश्रा, जबलपुर कलेक्टर भरत यादव सहित संभाग के जिलों के कलेक्टर्स, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारीगण, पशुपालन, नगर निगम, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि गौशालाओं का संचालन ऐसे समूहों, व्यक्तियों को सौंपा जाए जो रूचि लेकर यह कार्य करें। गौशालाओं के लिए पानी और बिजली की आपूर्ति संबंधी निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक गौशाला से संलग्न पांच एकड़ भूमि में चारागाह विकास के लिए 5 से 10 व्यक्तियों की सेवाएं ली जाएंगी। ये लोग गौशाला संचालन में भी सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि गौशालाओं से समाज के लोगों को जोड़ा जाए। गौशाला उपयोगी रहें। गौशाला के उत्पादों के निर्माण, उपयोग के लिए प्रशिक्षण दिलाया जाए।
पशुपालन मंत्री श्री यादव ने कहा कि अगले वर्ष के लिए स्वीकृत गौशालाओं के लिए स्थान और भूमि के चयन में जनप्रतिनिधियों का सहयोग अवश्य लिया जाए। गौशाला को वन क्षेत्र से जोड़ने पर भी विचार कर कार्य किया जाए। ऐसा प्रयोग कटनी जिले में किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री गौ सेवा योजनान्तर्गत इस वर्ष संभाग के आठ जिलों में 137 गौशालाएं स्वीकृत की गई। जिसमें निराश्रित पशुधन की संख्या 14 हजार रहेगी। अब तक 11 गौशालाओं का निर्माण पूरा हो गया है। शेष का निर्माण जनवरी माह तक पूर्ण हो जाएगा।
संभागायुक्त रविन्द्र कुमार मिश्रा ने बताया कि जबलपुर जिले में विकासखण्ड कुण्डम के गंगईवीर ग्राम में पशुपालन विभाग की 467 एकड़ भूमि पर गौवंश विहार की स्थापना का प्रस्ताव जिला प्रशासन द्वारा शासन को भेजा गया है। जिसके माध्यम से लगभग चार-पांच हजार निराश्रित एवं आवारा गौवंश का प्राकृतिक खुले वातावरण में पालन और संरक्षण किया जा सकता है। इसके साथ ही जिले के बरगी क्षेत्र में 100 एकड़ भूमि का चिन्हांकन किया जा रहा है। जिसमें ईकोटूरिज्म एवं जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास में कार्ययोजना बनाई जाएगी जिससे लगभग एक हजार निराश्रित एवं आवारा पशुओं का संरक्षण एवं रखरखाव किया जा सकेगा। विधायक संजय यादव ने गौ अभयारण्य को उपयोगी बताया। बैठक में इसे शासन स्तर से स्वीकृति मिलने की संभावना जाहिर की गई।
अपर मुख्य सचिव श्री श्रीवास्तव ने कहा कि गौअभयारण्य के लिए निजी क्षेत्र के एजेंसियों का सहयोग भी लिया जाए। उन्होंने निर्देश दिए गौशालाओं में रखे गए निराश्रित गौवंश की स्वास्थ्य देखभाल के लिए गौसेवकों और पशु चिकित्सकों को भी जोड़ा जाए। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि मार्ग में दुर्घटना से घायल निराश्रित आवारा पशुओं के बेहतर इलाज के लिए ट्रामा सेंटर और पशु ब्लड बैंक की स्थापना के लिए भी निजी क्षेत्र की सक्षम कंपनी और व्यक्तियों से चर्चा की जाए। उन्हें प्रेरित किया जाए।
संभागायुक्त श्री मिश्रा ने बताया कि जब लपुर के समीप उमरिया में स्मार्ट गौशाला निर्माण भी प्रस्तावित है। संबंधित अधिकारी द्वारा इस गौशाला की विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया। बैठक में गोबर से बने विभिन्न उत्पादों को लोकप्रिय बनाने पर चर्चा हुई।
बैठक में नस्ल सुधार कार्यक्रम कृत्रिम गर्भाधारण को बढ़ाने पर जोर दिया गया। संभागायुक्त ने बताया कि संभाग के सभी जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रत्येक जिले के एक ग्राम का चयन कर इस ग्राम में ग्राम पंचायत से सामंजस्य बनाकर पशुओं का एक बाड़ा तैयार किया जायेगा ।  (जो कि जंगल से लगा हो तथा जहां पर्याप्त पानी का इंतजाम हो) जिसमें किसानों की फसलों को ग्राम के आवारा पशुओं से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके ।  विभाग द्वारा चयनित ग्राम में पशुओं के उपचार, शत प्रतिशत टीकाकरण, बधियाकरण एवं कृत्रिम गर्भाधान तथा सभी विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन किया जायेगा ।  उन्नत एवं देशी नश्ल के नर सांडों द्वारा प्राकृतिक गर्भाधान से  उन्नत संतति  में वृद्धि होगी जिसमें पशुपालकों की आय में अप्रत्यक्ष वृद्धि होगी ।  इस पायलट प्रोजेक्ट पर कार्य करने के निर्देश दिए गये । दर्दरहित बधियाकरण तकनीक का प्रयोग कर पशुओं का बधियाकरण करने के निर्देश दिए गए। शासन की उपचार योजना, पशु विकास योजना की भी समीक्षा की गई।
ग्रामीण विकास योजनाओं की समीक्षा
ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने विभागीय योजनाओं की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि जनवरी माह तक सभी योजनाओं के लक्ष्य हासिल कर लिया जाए। उन्होंने शौचालय निर्माण, मनरेगा योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, एनआरएम कार्य, स्वसहायता समूहों का गठन, नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम आदि विभागीय योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सतत् दौरा कर मनरेगा के कार्यों को गति दें। श्रमिकों को कार्य मिले। उन्हें समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए। सक्रिय स्वसहायता समूहों का गठन कर उन्हें कार्य सौंपे जाए। स्वसहायता समूह सदस्यों को बैंक अधिकारियों के साथ आ रही दिक्कतों को दूर किया जाए। उन्होंने रोजगार के अवसर बढ़ाने तथा कौशल विकास हेतु प्रशिक्षण और रोजगार में स्थापित करने संबंधी कार्यों की समीक्षा कर दिशा-निर्देश दिए। बैठक में संभागायुकत रविन्द्र कुमार मिश्रा, आयुक्त मनरेगा शिल्पा गुप्ता भी मौजूद थीं।
क्रमांक/2638/दिसंबर-306/खरे॥

पत्थर का अवैध उत्खनन करने में प्रयुक्त दो पोकलेन मशीन जप्त
जबलपुर, 30 दिसंबर, 2019
     माफिया के विरूद्ध की जा रही कार्यवाही के तहत आज सोमवार को खनिज विभाग के अमले ने जबलपुर तहसील के ग्राम खुर्सी से पत्थर के अवैध उत्खनन में लगी दो पोकलेन मशीन जप्त की है ।
     खनिज निरीक्षक देवेन्द्र पटले के मुताबिक एसडीएम जबलपुर मणिन्द्र सिंह के नेतृत्व में आज ग्राम खुर्सी में अवैध उत्खनन की सूचना पर आकस्मिक कार्यवाही की गई । कार्यवाही के दौरान पाया गया कि दो पोकलेन मशीनों से पत्थर का अवैध उत्खनन किया जा रहा है । उन्होंने बताया कि अवैध उत्खनन में प्रयुक्त दोनों पोकलेन मशीनों को जप्त कर तिलवारा थाना के सुपुर्दगी में दे दिया गया है । इनमें से एक पोकलेन मशीन रब्बू यादव की बताई गई है जबकि दूसरी पोकलेन मशीन दुर्गेश यादव की बताई गई । दोनों के खिलाफ अवैध उत्खनन का प्रकरण भी दर्ज कर लिया गया है ।
क्रमांक/2639/दिसंबर-307/जैन  


विशेष लेख
सिंचाई क्षमता बढ़ाने में नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं का योगदान
जबलपुर, 30 दिसंबर, 2019
प्रदेश के विभिन्न अंचलों में सिंचाई क्षमता बढ़ाने में बीते साल से नर्मदा घाटी विकास परियोजनाओं का सक्रिय योगदान मिलने लगा है। राज्य सरकार ने इतने कम समय में इन परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देकर खासतौर से कृषि क्षेत्र को सिंचित कर कृषि पैदावार बढ़ाने, सिंचित कृषि से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार और प्रदेश के शहरों, कस्बों और गॉवों में पीने के पानी की कमी को दूर करने का उपक्रम किया है। साथ ही जल विद्युत क्षमता में वृद्धि के भी प्रयास किये हैं।
परियोजना
पूर्ण होने पर सिंचाई लक्ष्य
(रूपांकित सिंचाई)
वर्ष 2018-19 रबी में हुई सिंचाई
वर्ष 2019-20 रबी में सिंचाई लक्ष्य
रानी अवंतीबाई लोधी सागर
157000
115000
135000
बरगी व्यपवर्तन
245000
40500
45000
मान
15000
16000
15000
जोबट
9850
7268
9850
इंदिरा सागर
123200
109100
123200
ओंकारेश्वर
146800
81000
125000
अपर बेदा
9900
9900
9900
पुनासा उदवहन
35000
35000
35000
कठोरा
6945
4000
6500
लोअर गोई
13700
3900
9000
नर्मदा-मालवा-गंभीर लिंक
50000
7000
30000
बलवाड़ा एमआईपी
5000
0
5000
योग
817395
428668
548450
नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की परियोजनाओं से पिछले साल 4 लाख 28 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों को सिंचाई उपलब्ध कराई गई। इस वर्ष रबी सीजन में 5 लाख 48 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। नई सरकार ने सितम्बर 2019 में खरगोन जिले में 5 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की बलवाड़ा माईक्रो सिंचाई परियोजना पूर्ण कराई है। इससे 2.5 हेक्टेयर चक पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। पिछले एक वर्ष से मध्यप्रदेश को आवंटित 18.25 एमएएफ नर्मदा जल के वर्ष 2024 के पूर्व उपयोग के लिए नर्मदा घाटी योजनाओं के कार्य तेजी से पूर्ण कराये जा रहे हैं।
नवीन परियोजनाएँ
प्रदेश में अगस्त 2019 से लगभग 14 हजार करोड़ रूपये लागत की 8 परियोजनाओं के लिए निविदा पद्धति से एजेंसी निर्धारण की कार्यवाही अब पूर्णता पर है। इन परियोजनाओं के कार्य शीघ्र आरंभ किये जाएंगे। इनसे 4 लाख 3 हजार हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा निर्मित होगी। इनमें से शाजापुर एवं राजगढ़ जिले में एक लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की कालीसिंध चरण-2 परियोजना की लागत 4408 करोड़ रूपये है। सीहोर एवं शाजापुर जिले में एक लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की नर्मदा-पार्वती चरण 3 एवं 4 परियोजना की लागत 4132 करोड़ रूपये है। खरगोन जिले में 35 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की खालवा परियोजना की लागत 730 करोड़ रूपये और 17 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की पीपरी परियोजना की लागत 293 करोड़ रूपये है। धार एवं अलीराजपुर जिले में 47 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की 1128 करोड़ रूपये लागत की डही परियोजना संचालित है। बड़वानी जिले में 5 हजार 500 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की पाटी परियोजना की लागत 129 करोड़ रूपये है। धार जिले में 50 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की बदनावर परियोजना की लागत 1521 करोड़ रूपये है। होशंगाबाद, हरदा एवं खण्डवा जिले में 48 हजार 800 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की मोरण्ड गंजाल परियोजना की लागत 2813 करोड़ रूपये है।
बांध निर्माण की आवश्यकता
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने जुलाई 2019 में नर्मदा बेसिन में जल भण्डारण एवं जल उपयोग की विस्तृत समीक्षा की। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब नर्मदा नदी से सीधे पानी लेकर सिंचाई के लिए योजनाएँ बनाई जा रही हैं तथा जल भण्डारण की आवश्यकता को ध्यान रखकर बांध परियोजनाओं को भी प्राथामिकता से क्रियान्वित किया जा रहा है। इस अनुक्रम में मोरण्डगंजाल बांधों के निर्माण कार्य के निविदाएँ भी बुलाई गई हैं। एजेंसी निर्धारित कर ये कार्य शीघ्र आरंभ किये जाएंगे। डिण्डोरी जिले में 36 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित करने के लिए अपर नर्मदा बांध परियोजना, नरसिंहपुर जिले में 60 हजार हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता विकसित करने के लिए शक्कर बांध परियोजना के कार्यों के लिए भी शीघ्र निविदाएँ आमंत्रित की जा रही हैं।
प्रशासकीय स्वीकृति
आदिवासी क्षेत्र के लिये नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा प्राथमिकता से योजनाएँ बनाई जा रही हैं। इसी तारतम्य में 75 हजार हैक्टेयर सिंचाई क्षमता की कुक्षी माईक्रो सिंचाई परियोजना के निर्माण कार्य के लिए शीघ्र निविदा आमंत्रित की जा रही है। इसके अलावा प्रशासकीय स्वीकृति के बाद क्रियान्वयन के लिए निम्नानुसार 6 परियोजनाओंके डीपीआर प्राथमिकता से तैयार किये जा रहे हैं।
(1) राघवपुर परियोजना : सिंचाई क्षमता 26000 हेक्टेयर., लाभान्वित जिला डिण्डौरी। (2) बसानिया परियोजना : सिंचाई क्षमता 8480 हेक्टेयर., लाभान्वित जिला डिण्डौरी एवं मण्डला। (3) शक्कर परियोजनासिंचाई क्षमता 64000 हेक्टेयर., लाभान्वित जिला नरसिंहपुर। (4) चिंकी-बोरास परियोजना : सिंचाई क्षमता 131000 हेक्टेयर., लाभान्वित जिला नरसिंहपुर एवं रायसेन। (5) हांडिया बांध परियोजना : लाभांवित सिंचाई क्षमता 25000 हेक्टेयर जिला हरदा,. (6) होशंगाबाद परियोजना , होशंगाबाद यह परियोजना मुलत: जल भण्डारण के लिये परिकल्पित है। इससे सिंचाई की संभावना का भी परीक्षण किया जा रहा है।
आनंद मोहन गुप्ता
क्रमांक/2637/दिसंबर-305/जैन!!