News.12.12.2019_C


संभागीय जनसंपर्क कार्यालय-जबलपुर
मध्य प्रदेश शासन
समाचार
प्रदेश की मांग के अनुसार यूरिया का आवंटन बढ़ाने का केन्द्र से आग्रह
केन्द्रीय उर्वरक मंत्री श्री गौड़ा से मिले मंत्री श्री सचिन यादव 
जबलपुर, 12 दिसंबर, 2019
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री सचिन यादव ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री सदानंद गौड़ा से मिलकर प्रदेश को आवंटित यूरिया की निर्धारित समय-सीमा में आपूर्ति किये जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस साल अच्छी बारिश होने से रबी का रकबा बढ़ा है। इसलिये प्रदेश की माँग के अनुसार यूरिया का आवंटन भी बढ़ाया जाए। केन्द्रीय मंत्री श्री गौड़ा ने प्रदेश को यूरिया की समुचित आपूर्ति किये जाने का आश्वासन दिया।
मंत्री श्री सचिन यादव ने केन्द्रीय मंत्री से प्रदेश की यूरिया की दिसम्बर माह की निर्धारित मात्रा 4.36 लाख मीट्रिक टन तथा अक्टूबर-नवम्बर माह के बैकलॉग 2 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति शीघ्र कराने का आग्रह किया।
क्रमांक/2467/दिसंबर-135/जैन

अनुभूति कार्यक्रम में भाग लेंगे 1.11 लाख बच्चे
बच्चों के लिये वन्य-प्राणी संरक्षण का देश का अनूठा कार्यक्रम 
जबलपुर, 12 दिसंबर, 2019
वन विभाग के ईको-टूरिज्म बोर्ड द्वारा इस वर्ष भी 15 दिसम्बर से स्कूली बच्चों के लिये एक माह का अनुभूति कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। कार्यक्रम में एक लाख 11 हजार स्कूली छात्र-छात्राओं को वन और वन्य-प्राणियों के जीवन संरक्षण के प्रति अनुभूति कराने का लक्ष्य है। इस कार्यक्रम में टाइगर रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य के आसपास रहने वाले बच्चे भाग लेते हैं।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी ईको-टूरिज्म बोर्ड श्री एस.एस. राजपूत ने बताया कि देश में अपनी तरह के अनूठे, वृहद एवं प्रभावी अनुभूति कार्यक्रम में पिछले तीन सालों में ईको कैम्प के माध्यम से 2 लाख 25 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को वन और वन्य-प्राणियों के प्रति संवेदनशील बनाते हुए प्रशिक्षित किया गया है। प्रदेश के वरिष्ठ, क्षेत्रीय और सेवानिवृत्त वन अधिकारियों और पर्यावरणविदों के कुशल मार्गदर्शन से कार्यक्रम के बहुत अच्छे परिणाम आये हैं। अब यह कार्यक्रम संस्थागत रूप ले चुका है।
कार्यक्रम का उद्देश्य देश के भावी नागरिकों में वन संरक्षण के संस्कार विकसित करना है। कैम्प में पक्षी दर्शन, जंगल सफारी, ट्रेकिंग, नेचर ट्रेल, प्रश्नोत्तरी आदि विभिन्न प्रतियोगिताएँ और गतिविधियाँ होंगी। इनके माध्यम से बच्चों को वन और वन्य-प्राणियों के संरक्षण तथा सृष्टि में उनकी महत्ता के प्रति जागरूक किया जाएगा।
क्रमांक/2468/दिसंबर-136/जैन

राष्ट्रीय एकलव्य खेल प्रतियोगिता के "मुन्ना बाघ के लिये वन विहार में बाड़ा तैयार

जबलपुर, 12 दिसंबर, 2019
देश के सबसे लोकप्रिय बाघों में से एक और बरसों कान्हा की शान के नाम से मशहूर 'मुन्ना' बाघ के लिये वन विहार में नया घर (बाड़ा) तैयार हो गया है। मुन्ना बाघ आजकल भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय एकलव्य खेल प्रतियोगिता की पहचान (लोगो) बन गया है। इसे हाल ही में कान्हा टाइगर रिजर्व से भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में शिफ्ट किया गया है।
पूरे विश्व में यह 17 वर्षीय बाघ मुन्ना अपने माथे पर अंकित धारियों 'CAT' और उसके नीचे 'PM' के लिये जाना जाता है। मुन्ना अपनी राजसी चाल-ढाल और फोटो खिचवाने की निर्भीक अदा के कारण पर्यटकों, छायाचित्रकारों और बाघ संरक्षणविदों के बीच बहुत अधिक लोकप्रिय रहा है। आयकॉन बन चुके मुन्ना के वीडियो और फोटोज को करोड़ों लोगों द्वारा सराहा गया है। बिल्ली प्रजाति का होने के कारण बाघ को आम भाषा में कैट या सुपर कैट भी कहा जाता है।
सामान्यत: जंगल में बाघ की उम्र 10-12 वर्ष होती है। विगत वर्षों में अपने सुन्दर, फुर्तीले और बलवान शरीर से करोड़ों प्रशंसकों का दिल जीतने वाला मुन्ना वृद्धावस्था के कारण थोड़ा कमजोर हो गया है। चारों केनाइन (दाँत) घिस जाने से उसे शिकार करने में कठिनाई होने लगी थी। कम उम्र के नर बाघों के साथ वर्चस्व की लड़ाई से बचने के लिये इसने पिछले दो साल से खुद को कोर से बफर एवं सामान्य वन मंडल क्षेत्र में शिफ्ट कर लिया था। ग्रामीण इलाकों की ओर विचरण भी शुरू किया था। मवेशियों के साथ इसने एक युवती का भी शिकार किया। इसलिये मुन्ना को अक्टूबर माह में कान्हा से भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में शिफ्ट किया गया है। इससे मुन्ना की सुरक्षा के साथ ग्रामवासियों की भी सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।
मुन्ना का जन्म वर्ष 2002 में हुआ था। पार्क में इसका नाम टी-17 था, जिसे पर्यटकों और गाईड ने प्यार से 'मुन्ना'' कर दिया था। बलवान मुन्ना जंगल में बड़ी आसानी से शिकार करता था। इसको कभी किसी ने घायल नहीं देखा। पर्यटकों के बीच यह अपने अच्छे स्वभाव के लिये भी जाना जाता था। कान्हा से भोपाल के सफर के दौरान मुन्ना शांत रहा और वन विहार में भी शांत भाव से रह रहा है।
कान्हा के क्षेत्र संचालक श्री एल. कृष्णमूर्ति के मुताबिक कोई सन्देह नहीं है कि मुन्ना ने कान्हा में एक वास्तविक राजा की तरह राज किया। वह वन्य-प्राणी संरक्षण का प्राकृतिक राजदूत है, जिसने बाघ बचाओ मुहिम के लिये बहुत बड़ी संख्या में लोगों को प्रेरित किया। आज कान्हा का हर व्यक्ति उसे बहुत मिस कर रहा है।
क्रमांक/2469/दिसंबर-137/जैन
उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण से सुनिश्चित हुई किसानों और नौजवानों की खुशहाली
जबलपुर, 12 दिसंबर, 2019
मध्यप्रदेश में बीता साल किसानों और बेरोजगार नौजवानों के लिये नया सवेरा लेकर आया है। राज्य सरकार ने कृषि के साथ उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में किसानों और नौजवानों को प्राथमिकता देते हुए उनके लिये आर्थिक मदद के रास्ते भी खोल दिए हैं। ये दोनों क्षेत्र किसानों और नौजवानों के लिये अतिरिक्त आय का सशक्त माध्यम बन गए हैं। अब प्रदेश का किसान खेती के साथ उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के कारोबार अपनाने लगा है। बेरोजगार नौजवान भी इस क्षेत्र को आधुनिक तकनीक के साथ अपनाकर स्वावलम्बी बन रहे हैं।
प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी किसान को समृद्ध बनाने और नौजवान को रोजगार देने की। सरकार ने उद्यानिकी में सब्जी एवं मसाला क्षेत्र विस्तार योजना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के किसानों की अनुदान राशि को 50 से बढ़ाकर 70 प्रतिशत कर दिया है। इससे अब किसानों को प्रति हेक्टेयर 70 हजार रूपये तक अनुदान मिल रहा है। अनुदान में बीज के साथ प्लास्टिक क्रेट और बेल वाली सब्जियों फसलों के मंडप बनाने की सामग्री पर भी अनुदान मिल रहा है। इससे किसानों को उद्यानिकी उत्पादों को खेत से मंडी तक ले जाने में होने वाले फसल नुकसान में 20 से 25 प्रतिशत कमी हुई है। फसल उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी रहने से मंडी में अधिक मूल्य भी मिलने लगा है। किसानों की मांग पर सरकार ने अब बेल वाली फसलों की मंडप निर्माण सामग्री पर 7 से 12 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से दो हैक्टेयर तक खेती करने पर अनुदान देने का निर्णय लिया है। इससे बेल वाली सब्जियों की फसलें मण्डप पर लगाने से फसल के उत्पादन का समय बढ़कर 6 से 7 माह होगा। साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता बहुत अच्छी होने से बाजार में रेट भी 20 से 25 प्रतिशत अधिक प्राप्त होंगे। इस तरह करेला, गिलकी, लौकी आदि की फसलों से किसानों को प्रति हैक्टेयर 2 से 3 लाख रूपये की आय होगी।
तोतापरी आम का रोपण और प्र-संस्करण
प्रदेश में इस वर्ष से खाद्य प्र-संस्करण की सम्भावनाओं को देखते हुए होशंगाबाद, हरदा एवं बैतूल जिले में 1000 एकड़ में आम की तोतापरी किस्म का रोपण किया जा रहा है। इसमें किसानों को प्रक्षेत्रों पर 56 हजार रूपये प्रति एकड़ अनुदान सहायता प्रदान कर पौधा-रोपण की विशेष योजना लागू की गई है। योजना को अगले साल अन्य जिलों में भी बढ़ाया जायेगा। इस किस्म के आम पौधा-रोपण से किसानों को एक से डेढ़ लाख रूपये प्रति एकड़ तक आय प्राप्त होगी। साथ ही प्रदेश में आम प्र-संस्करण की औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से रोजगार को बढ़ावा भी मिलेगा।
मुख्यमंत्री खाद्य प्र-संस्करण योजना लागू
प्रदेश में इस वर्ष से मुख्यमंत्री खाद्य प्र-संस्करण योजना लागू की गई है। योजना में उद्योग विभाग की तर्ज पर शासकीय भूमि/राजस्व भूमि को शिक्षित बेरोजगार युवाओं को एक से ढाई एकड़ भूमि प्रति हितग्राही तीस साल के लिये लीज पर उपलब्ध कराई जायेगी। योजना में 100-100 एकड़ के क्लस्टर बनाकर फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा। किसानों के लिये तकनीकी मार्गदर्शन और बाजार व्यवस्था क्लस्टर स्थल पर ही उपलब्ध करवाई जायेगी। फूलों के दाम भी अच्छे प्राप्त होंगे। छिन्दवाड़ा में 100 एकड़ में आर्किड फूलों की संरक्षित खेती का क्लस्टर तैयार किया जा रहा है। इससे हितग्राहियों को प्रति एकड़ 10 से 15 लाख रूपये तक आय प्राप्त होगी।
छिन्दवाड़ा में हाईटेक हार्टिकल्चर ट्रेनिंग सेन्टर
छिन्दवाड़ा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हाईटेक हॉर्टिकल्चर ट्रेनिंग सेन्टर बनाया जा रहा है। इससे उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में किसानों को नवीन तकनीकों से लाभांवित किया जाएगा। साथ ही प्रदेश में खाद्य प्र-संस्करण इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश के बैतूल, छिन्दवाड़ा, सिवनी और बालाघाट जिले में लगभग 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में 432 लाख की लागत से काजू पौध-रोपण किया जा रहा है। इससे किसानों को 2 से 5 लाख रूपये सालाना आय प्राप्त होगी।
प्रदेश में दो नवीन उद्यानिकी महाविद्यालय रेहली और छिन्दवाड़ा में खोले गये हैं। साथ ही इन्डो-इजराइल प्रोजेक्ट के तहत उद्यानिकी क्षेत्र में तीन सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस, छिन्दवाड़ा में सिट्रस, मुरैना में वेजीटेबिल और भोपाल में फ्लोरीकल्चर के, स्थापित किये जा रहे हैं। इन सेन्टर से किसानों को संतरा, मौसंबी, नीबू, सब्जियों एवं फूलों की खेती की नवीन तकनीकी का प्रदर्शन और प्रशिक्षण के साथ अच्छी गुणवत्ता के विभिन्न किस्मों के रोगमुक्त पौधे उपलब्ध होंगे। मंडी निधि से 925 लाख रूपये लागत की नवीन परियोजना मॉडल नर्सरी कान्हासैया और गुलाब उद्यान, भोपाल में पुष्प-प्रदर्शन एवं अनुसंधान सहित यंत्रीकरण के प्रदर्शन की क्रियान्वित की जा रही है।
प्रदेश सरकार ने विगत एक वर्ष में नवाचारों से किसानों और नौजवानों की तरक्की की राह आसान कर दी है। अब यहाँ का युवा वर्ग उच्च गुणवत्ता के आर्गेनिक खाद्य उत्पादों का निर्यात भी करेगा। इससे किसानों को अच्छी कीमत और युवाओं को भरपूर रोजगार मिलेगा।
क्रमांक/2470/दिसंबर-138/जैन