News.11.12.2019_B


संभागीय जनसंपर्क कार्यालय-जबलपुर
मध्य प्रदेश शासन
समाचार
पावर ट्रांसमिशन कंपनी को बेस्ट परफारर्मेंस इम्प्रूवमेंट के लिए गोल्ड अवार्ड
ऊर्जा मंत्री श्री सिंह ने दी बधाई 
जबलपुर, 11 दिसंबर, 2019
स्कॉच ग्रुप की जूरी ने मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी को राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कार्यों के लिए एनर्जी यूटिलिटी केटेगरी में बेस्ट परफार्मेंस इम्प्रूवमेंट' गोल्ड अवार्ड से सम्मानित किया है। ऊर्जा मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह ने इस उपलब्धि के लिए कंपनी के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को बधाई दी है।
कंपनी ने वर्ष 2018-19 में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। इसमें सबसे अधिक सब-स्टेशन एवं लाइनों का निर्माण, सबसे अधिक पारेषण क्षमता वृद्धि, पारेषण उपलब्धता तथा सबसे कम पारेषण हानियां शामिल हैं। इन्ही मापदंडों के आधार पर जूरी ने इस पुरस्कार से अलंकृत किया है।
क्रमांक/2449/दिसम्बर-117/जैन

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी के विद्यार्थियों को मृगनयनी एम्पोरियम से जोड़ने का निर्णय
डिजाइन पसंद आने पर दी जाएगी रायल्टी 
जबलपुर, 11 दिसंबर, 2019
राज्य सरकार ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलाजी (NIFT) के डिजाइनिंग विद्यार्थियों को मृगनयनी एम्पोरियम से जोड़ने का निर्णय लिया है। इस संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा बुनकरों के लिये विकसित डिजाइन उपभोक्ताओं को पसंद आने पर विद्यार्थियों को रायल्टी दी जाएगी।
प्रदेश के बुनकरों और शिल्पियों के उत्पादों को जन-जन तक पहुँचाने के लिये हाल ही में होशंगाबाद एवं बैतूल में मृगनयनी के नये विक्रय केन्द्र खोले गये हैं। प्रदेश के बाहर हैदराबाद और एकता मॉल केवड़िया (गुजरात) तथा रायपुर में मृगनयनी के नये शो रूम खोले गये हैं। प्रदेश के हस्तशिल्प एवं हाथकरघा को व्यापक बाजार मुहैया कराने के लिये अन्य राज्यों के साथ एमओयू साइन किये गये हैं। हस्तशिल्पियों और बुनकरों को रोजगार तथा तुरंत मार्केट सुविधा उपलब्ध कराने के लिये गौहर महल भोपाल, अर्बन हाट इंदौर और शिल्प बाजार ग्वालियर में नई गतिविधियाँ प्रारंभ की गई हैं।
बुनकरों को डिजाइन विकास का प्रशिक्षण
राष्ट्रीय हाथकरघा विकास योजना और राज्य सरकार की एकीकृत कलस्टर विकास योजना में प्रदेश के 280 बुनकरों को डिजाइन विकास का प्रशिक्षण दिया गया है। विकास आयुक्त हाथकरघा के इम्पैनल्ड डिजाइनर और मास्टर वीवर्स द्वारा यह प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा इंदौर, महेश्वर और चन्देरी में 276 बुनकरों को बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
निजी क्षेत्र के लिये -रेशम पोर्टल शुरू
राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र के मलबरी हितग्राहियों के चयन, पंजीयन और भुगतान की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिये अप्रैल 2019 से -रेशम पोर्टल प्रारंभ किया है। इसमें चयनित हितग्राहियों को पौधा-रोपण, कृमि-पालन, भवन निर्माण तथा सिंचाई उपकरण के लिये सहायता प्रदान करने की ऑनलाइन व्यवस्था की गई है। पोर्टल पर भुगतान आदेश जनरेट करने की व्यवस्था भी की गई है।
रेशम ककून का समर्थन मूल्य
प्रदेश में किसानों से खरीदे जाने वाले रेशम ककून (मलबरी एवं टसर) का समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, इंदौर और बैतूल जिले में शीघ्र ही ऑटोमेटिक रीलिंग मशीन स्थापित की जा रही है।
लंदन में उत्पादों की सराहना
प्रदेश के चन्देरी, महेश्वर और बाघ के बुनकरों एवं शिल्पियों का कला-कौशल विदेशों तक पहुँच रहा है। पिछले दिनों लंदन में आयोजित फ्रैंड्स ऑफ एम.पी. कॉन्क्लेव में प्रदेश के बुनकरों एवं शिल्पियों के उत्पाद भेजे गए। कॉन्क्लेव में इन उत्पादों को केवल अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली बल्कि बेहद पंसद भी किया गया।
रोजगार के लिये ऋण पर 44 करोड़ 52 लाख मार्जिन मनी
मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना और मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना में एक साल में 5249 बुनकरों और शिल्पकारों को स्वीकृत ऋण राशि पर 44 करोड़ 52 लाख 24 हजार रूपये मार्जिन मनी दी गई। इसमें से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 3693 हितग्राहियों को बैंक से ऋण स्वीकृत कराकर 42 करोड़ 23 लाख 77 हजार रुपये तथा मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना में 1556 हितग्राहियों को बैंक से ऋण स्वीकृत कराकर 2 करोड़ 28 लाख 52 हजार रुपये मार्जिन मनी उपलब्ध करवाई गई।
क्रमांक/2450/दिसम्बर-118/जैन
"टाइगर स्टेट" बनने के साथ सिंहों के स्वागत को भी तैयार मध्यप्रदेश
जबलपुर, 11 दिसंबर, 2019
मध्यप्रदेश ने पिछले एक साल में केवल एक बार फिर देश में टाइगर स्टेट होने का गौरव प्राप्त किया है बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के साथ वन-वन्य प्राणी संरक्षण और वनवासियों के उत्थान के सतत प्रयास भी शुरू कर दिये हैं। गुजरात के गिर में बचे हुए एशियाटिक लायन को विलुप्ति से बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कूनो अभयारण्य में कुछ सिंहों की शिफ्टिंग के लिये भी राज्य सरकार लगातार सक्रिय है। प्रदेश में वनोपज का उत्पादन पिछले वर्ष से अधिक हुआ है। इस वर्ष 2.73 लाख घन मीटर इमारती लकड़ी, 1.62 लाख घन मीटर जलाऊ चट्टे और 34 हजार नोशनल टन बाँस का उत्पादन हुआ है, जो विगत वर्ष की तुलना में इमारती लकड़ी के लिये 56 प्रतिशत, जलाऊ लकड़ी के लिये 30 प्रतिशत और बाँस में 26 प्रतिशत अधिक है।
526 बाघ के साथ .प्र. फिर देश में प्रथम
अखिल भारतीय बाघ आंकलन के 29 जुलाई 2019 को घोषित परिणाम में 526 बाघ के साथ मध्यप्रदेश पुन: देश में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2014 में हुई गणना में 306 बाघ आंकलित हुए थे। प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व- पेंच, कान्हा और सतपुड़ा देश में प्रबंधकीय दक्षता में प्रथम तीन स्थान
पर हैं।
मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं एवं सेवाओं के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को ''मोस्ट टूरिस्ट फ्रेंडली नेशनल पार्क'' का अवार्ड मिला है। वन पर्यटन पर जोर देते हुए वन्य-प्राणी पर्यटन संबंधी निर्णयों के अमल की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। प्रदेश में दूसरी बार 12 जनवरी 2019 में की गई गिद्ध गणना में प्रदेश के 33 जिलों में 7900 गिद्ध पाए गए हैं। टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने वन्य-प्राणी अपराध में लिप्त राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है।
संग्रहण वर्ष 2019 में तेंदूपत्ता मजदूरी 2000 रूपये से बढ़ाकर 2500 रूपये प्रति मानक बोरा की दर से मजदूरी का नगद भुगतान किया गया। तेन्दूपत्ता प्रोत्साहन राशि का 15 प्रतिशत 3289.80 लाख रूपये अधोसंरचना विकास और 2365.60 लाख रूपये वन विकास और क्षमता विकास पर व्यय किये गये।
एकलव्य शिक्षा योजना में 4774 विद्यार्थियों को करीब 5 करोड़ की छात्रवृत्ति दी गई। बाह्य स्थलीय संरक्षण योजना में 2182 हेक्टेयर में पौध-रोपण किया गया। क्षमता विकास योजना में 1100 तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार के युवाओं को 225 लाख 50 हजार के व्यय से मोटर ड्राइविंग प्रशिक्षण दिलाया गया। मुख्यमंत्री तेन्दूपत्ता संग्राहक कल्याण सहायता योजना में 483 प्रकरणों में पौने 2 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।
वन समितियाँ देंगी 7800 गौ-वंश को आश्रय
वन समितियों के माध्यम से अनाश्रित गायों के लिए 78 गौ-शालाएँ खोली जा रही हैं। प्रति गौ-शाला 7800 गौ-वंश को आश्रय दिया जाएगा। वन विभाग -आफिस प्रणाली लागू करने वाला प्रदेश में पहला है। जीआईएस तकनीक का प्रयोग कर वन खण्डों के मूल मानचित्र एवं राजस्व विभाग के खसरे वार उपलब्ध डेटा से नक्शे तैयार किये गये हैं। निजी भूमि पर वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना में 25.82 लाख, राष्ट्रीय बाँस मिशन में लगभग 10 करोड़ 90 लाख और ग्रीन इंडिया मिशन में 13 करोड़ की राशि का वितरण किया गया है। आरा मशीन नामांतरण-स्थानांतरण प्रक्रिया मे संशोधन से अब विक्रय/उत्तराधिकार इत्यादि केवल एसएलसी के अनुमोदन से ही हो जाएगा।
जन-सामान्य को एमपी ऑनलाइन से पौधा विक्रय की व्यवस्था के लिए नर्सरी मेनेजमेंट सिस्टम विकसित किया गया है। वनवासियों की अजीविका को केन्द्र में रखकर वन संरक्षण की योजनाएँ बनाई गई हैं। बिगड़े बाँस वनों के सुधार और वृक्षारोपण के माध्यम से वन समितियों की भागीदारी से योजना तैयार की गई है। वन एवं ग्रामीण विकास विभाग के समन्वय से 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर के बिगड़े बाँस वनों के सुधार और 50 हजार हेक्टेयर में बाँस के उन्नत वृक्षारोपण की योजना क्रियान्वित की जा रही है। पान बरेजा परिवारों को निस्तार नीति में सम्मिलित किया गया है। वन्य-प्राणी सरंक्षित क्षेत्रों से विस्थापित ग्रामीणों को विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए प्रमाण-पत्र दिए गए हैं। नर्सरी में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें सभी आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। वर्षा ऋतु में 3 करोड़ 34 लाख से ज्यादा पौधों का रोपण किया गया।
वन विकास निगम
वन विकास निगम द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों के 82 किलोमीटर में 96 हजार से ज्यादा पौधों का रोपण किया गया है। हेवल्स इण्डिया के सीएसआर मद से 222 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 4 लाख पौधों का रोपण किया गया है। अमरकंटक में रुद्राक्ष और झाबुआ वन मण्डल में शीशम रोपण का कार्य प्रगति पर है। लुप्तप्राय पक्षी खरमोर के संरक्षण और संवर्धन के लिये धार और नीमच में विकास कार्य किया जा रहा है। इंदौर की टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में उत्तम गुणवत्ता के बाँस और संकटापन्न प्रजाति के पौधों को विकसित किया जा रहा है। सागौन पर भी प्रयोग शुरू किया गया है। वर्ष 2019 के रोपण के लिए विभागीय रोपणियों में 8.55 करोड़ विभिन्न प्रजातियों के पौधे विकसित किए गए हैं। गैर वन क्षेत्रों में लगभग 40 लाख पौधों का विक्रय किया गया। निगम द्वारा 96 लाख 64 हजार हेक्टेयर में एक करोड़ 73 लाख से ज्यादा पौधे रोपित किये गये। निगम प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख मानव दिवस रोजगार उपलब्ध करा रहा है।
वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय बाँस मिशन द्वारा प्रदेश की 4541.87 लाख रूपये की योजना को मंजूरी दी गई। इसमें केन्द्रांश और राज्यांश का अनुपात 3:2 है। बाँस की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के लिए दो उच्च तकनीक और चार छोटी बाँस रोपणी निजी क्षेत्र में स्थापित कराई गई हैं। प्रदेश के सभी 11 एग्रो क्लाईमेटिक जोन में बाँस की विभिन्न प्रजातियों की फील्ड ट्रायल के लिए 12 बेम्बू सेटम की स्थापना की गई है। कृषि क्षेत्र के 1114.50 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँस रोपण कराया गया है। प्रदेश के प्रमुख बाँस क्लस्टरों में निजी क्षेत्र में 46 और 33 बाँस आधारित सूक्ष्म लघु और मध्यम इकाइयों की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। परम्परागत 156 शिल्पकारों को नवीन बॉस उत्पादों के डिजाईन एवं निर्माण के लिए और 52 को अगरतला में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। बाँस उत्पाद निर्माण और विपणन को सुलभ बनाने के लिए सीएफसी का सुदृढ़ीकरण किया गया।
जैव विविधता बोर्ड
जैव विविधता बोर्ड द्वारा जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में मण्डला, बैतूल, छिन्दवाड़ा के लगभग 500 किसानों, समिति सदस्यों और संग्राहकों को अकाष्ठीय वनोपज की विनाश विहीन सतत पद्धति का प्रशिक्षण दिया गया। जन-भागीदारी से 1 करोड़ 10 लाख सीडबॉल का निर्माण किया गया। रोपणियों में दुर्लभ प्रजाति के 70 लाख पौधे तैयार किये गये।
इस वर्ष 60 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया। जीवामृत एवं नीम खली का उत्पादन भी रोपणियों में किया जा रहा है। प्रमुख स्थलों पर रोपणी को ईको-टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित कर जन-सामान्य में वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता पैदा की जा रही है।
कैम्पा में अब तक सर्वाधिक 450 करोड़ की राशि स्वीकृत
इस अवधि में पहला अवसर रहा जब निरंतर प्रयासों से राज्य कैम्पा के किसी एपीओ की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा उसी वित्तीय वर्ष के प्रथम त्रैमास में ही जारी की गई। स्वीकृत एपीओ में 450 करोड़ के कार्य होंगे। यह अभी तक की सर्वाधिक स्वीकृत राशि है। ग्रीन इण्डिया मिशन में मशरूम खेती, महिलाओं को सिलाई, सेनेटरी पेड निर्माण, बॉयोगैस डायजेस्टर, अगरबत्ती निर्माण, कम्प्यूटर, ड्रायविंग, बिजली मरम्मत आदि रोजगारमूलक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
क्रमांक/2451/दिसम्बर-119/जैन