NEWS -19-03-2021-A

 

संभागीय जनसम्पर्क कार्यालय जबलपुर

मध्य प्रदेश शासन

समाचार

कहानी सच्ची है :

महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा और स्वराज जैसी अग्रणी कंपनियाँ युवाओं को कर रहीं प्रशिक्षित

नामचीन कपंनियों के प्रशिक्षक युवाओं को दे रहे

हॉर्वेस्टर और ट्रेक्टर चालन व मरम्मत का प्रशिक्षण

जबलपुर, 19 मार्च 2021

कृषि कार्य में रूचि रखने वाले ग्रामीण युवाओं को खेती-किसानी के लिये उपयोगी कृषि यंत्रों के संचालन में दक्ष बनाने के लिये कृषि अभियांत्रिकी के अधारताल स्थित कौशल विकास केन्द्र में स्वराज और महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा जैसी देश की अग्रणी और नामचीन कंपनियों के विशेषज्ञ प्रशिक्षक युवाओं को हॉर्वेस्टर और ट्रेक्टर चलाने तथा इनकी मरम्मत एवं सुधार कार्य का समग्र प्रशिक्षण दे रहे हैं।

            जबलपुर के कृषि अभियांत्रिकी कर्मशाला के कौशल विकास केन्द्र में इन दिनों स्वराज कंपनी के प्रशिक्षक चरणजीत सिंह ग्रामीण युवाओं को हॉर्वेस्टर चलाने और इसकी मरम्मत व सुधार सहित सामान्य सर्विसिंग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। संभागीय कृषि यंत्री एस. के. चौरसिया ने बताया कि यहाँ ग्रामीण युवाओं के लिये शासन की ओर से नि:शुल्क आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था हैं।

            हॉर्वेस्टर चालन और इसके मरम्मत व सुधार कार्य से संबंधित 30 दिनों का नि:शुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे नरसिंहपुर जिले के आड़ेगाँव निवासी प्रकाश विश्वकर्मा और सिवनी जिले के ग्राम खैरीमाल के जयंत सिंह ठाकुर कहते हैं कि प्रशिक्षण में उन्हें हॉर्वेस्टर चालन की तमाम तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी गई है। वहीं जबलपुर जिले के गोसलपुर निवासी दीपांशु पटेल एवं कटनी जिले के चाकागाँव के रहवासी बलराम सिंह ने बताया कि वे हॉर्वेस्टर चलाना सीखने के लिये काफी रोमांचित थे, अब जब प्राय: सब कुछ सीख लिया है तो गेहूँ की कटाई में जल्दी ही हम सबको अपना हुनर आजमाने का मौका मिलेगा। इससे स्थानीय स्तर पर ही हम रोजगार पा सकेंगे। कटनी जिले के राखी गाँव निवासी मयंक काछी और छिंदवाड़ा जिले के माचागोरा डैम चौरई निवासी बंटी साहू कहते हैं कि अब उन्हें यह भरोसा हो गया है कि वे न केवल आत्मनिर्भर बन सकेंगे, बल्कि खेती में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देकर कम लागत में अधिक फसलोत्पादन लेने में अपनें गांव वालों की भी मदद कर सकेंगे।

            संभागीय कृषि यंत्री श्री चौरसिया ने बताया कि कौशल विकास केन्द्र में हॉर्वेस्टर के लिये 30 दिनों और ट्रेक्टर के लिये 35 दिनों का नि:शुल्क आवासीय प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण की प्रक्रिया सतत चलती रहती है एक बैच के प्रशिक्षण के बाद दूसरे बैच के युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिये ग्रामीण क्षेत्र के युवा की उम्र 18 से 35 वर्ष के बीच और दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिये। ग्रामीण युवा सादे कागज में कौशल विकास केन्द्र में आवेदन दे सकते हैं। प्रशिक्षण के दौरान शासन की ओर से आवास और भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था हैं।

क्रमांक/1098/मार्च-243/मनोज श्रीवास्तव


आईटीआई प्लेसमेंट ड्राइव में 18 प्रशिक्षार्थियों का चयन

जबलपुर, 19 मार्च 2021

संचालनालय कौशल विकास एवं जिला प्रशासन से प्राप्त निर्देशों के परिपालन में शासकीय संभागीय आईटीआई में वेकमेट इंडिया लिमिटेड जिला धार हेतु प्लेसमेंट ड्राइव का आयोजन किया गया। ड्राइव में लगभग 60 प्रशिक्षार्थी सम्मिलित हुये, जिनमे से 18 आईटीआई उत्तीर्ण ट्रेनीस का लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के उपरांत प्रारंभिक चयन किया गया है। कैंपस इंटरव्यू हेतु अपनी टीम के साथ उपस्थित कंपनी के सहायक जनरल मेनेजर एच.आर. एण्ड एडमिन विजय नायडू ने बताया है कि सभी चयनित आवेदकों का आगामी सप्ताह में प्लांट हेड द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इंटरव्यू आयोजित होगा एवं ज्वाइनिंग हेतु ऑफर लेटर ईमेल के माध्यम से प्रदान किये जायेगे I एक वर्षीय प्रशिक्षण अवधि के दौरान 9 हजार रूपये प्रतिमाह की छात्रवृत्ति एवं उसके पश्चात् सभी ट्रेनीस को कंपनी में 12 हजार रूपये प्रतिमाह के वेतन पर अन्य सुविधाओं के साथ नियमित रोजगार हेतु नियुक्ति प्रदान की जाएगी I ड्राइव के दौरान कंपनी प्रतिनिधियों के साथ आईटीआई प्राचार्य टी.के. नन्दनवार, संभागीय टीपीओ ललित डेहरिया, टीपीओ राजेश पटेल, स्वाति सिंह, शिवांग अग्रवाल आदि अधिकारी उपस्थित रहे।  

क्रमांक/1099/मार्च-244/मनोज

 

कोरोना के बचाव के लिए त्रि-आयामी प्रयास: मुख्यमंत्री श्री चौहान

आर्थिक गतिविधियाँ नहीं रुकेंगीं, जनता का सहयोग चाहिए 

जबलपुर, 19 मार्च 2021

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में कोरोना से बचाव और उपचार व्यवस्था के संबंध में राज्य सरकार त्रि-आयामी प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री ने अपील की कि मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए नागरिक पूरी सावधानियाँ बरतें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा आर्थिक गतिविधियाँ बंद नहीं होने दी जाएंगी। कोरोना से निपटने के लिए हर सावधानी आवश्यक है। प्रदेशवासियों से अपील है कि वे फेस मास्क के अनिवार्य उपयोग के साथ ही निर्धारित गाइडलाइन का पालन कर सहयोग करें। प्रदेश में वैक्सीनेशन कार्य भी चल रहा है। राज्य सरकार अधिक संक्रमण वाले जिलों में वैक्सीनेशन कार्य को प्राथमिकता देते हुए इसकी गति बढ़ाएगी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि त्रि-आयामी प्रयासों के अंतर्गत सबसे पहले कोरोना से बचाव के लिए प्रचार-प्रसार और जागरूकता अभियान पर जोर दिया गया है। इसके बाद जिन जिलों में अधिक संक्रमण हो रहा है, उन जिलों में वैक्सीनेशन कार्य को प्राथमिकता और जो नागरिक संक्रमित हो जाते हैं ,उनके समुचित उपचार के प्रबंध का कार्य शामिल है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आमजन से इन सभी कार्यों में सहयोग का अनुरोध है। वायरस अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। संक्रमण से सभी को बचने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम नहीं किए जाएं। जो कार्यक्रम हों वे कम उपस्थिति और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हों। इसके साथ ही जो गाइड लाइन बनाई गई है उसका सभी लोग पूरी तरह पालन करें।

क्रमांक/1100/मार्च-245/मनोज

 

वानिकी विकास योजनाओं से सँवर रहा है मध्यप्रदेश का ग्रामीण परिवेश

जबलपुर, 19 मार्च 2021

मध्यप्रदेश में वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए की जा रही प्रभावी पहल के चलते वनों के साथ-साथ उन पर आश्रित आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वानिकी विकास के जरिए समृद्ध किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पिछले एक साल में वनों की सुरक्षा और विकास के साथ-साथ वनों पर आश्रित वनवासियों के कल्याण की नई इबारत लिखी गई है।

प्रदेश में वन-जन को समन्वित कर वानिकी में भागीदारी का अंश बढ़ाने के साथ ही 'जन' की सक्रियता बढ़ाने के उद्देश्य से संयुक्त वन प्रबंधन की विचारधारा को सशक्त रूप से अपनाया गया है। संयुक्त वन प्रबंधन के लिए 9784 ग्राम वन, 4773 वन सुरक्षा और 1051 ईको विकास समितियाँ गठित हैं। इनके माध्यम से करीब 47 हजार वर्ग किलो मीटर वन क्षेत्रों का प्रबंधन किया जा रहा है।

संयुक्त वन प्रबंधन से समृद्ध समितियाँ

33 फीसदी पद महिलाओं को

वन समितियों में 33 फीसदी महिलाओं की सदस्यता आरक्षित की गई है। साथ ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद में से एक पर महिला की नियुक्ति अनिवार्य की जाकर महिला सशक्तिकरण को प्रभावी बनाया गया है।

वन खंड की सीमा से 5 कि.मी. दूरी तक स्थित ग्रामों में गठित वन सुरक्षा समिति सघन वन क्षेत्रों में अवैध कटाई, चराई और अग्नि से क्षेत्र की सुरक्षा का काम करती हैं। इसके ऐवज में उन्हें आवंटित क्षेत्र से समस्त लघु वनोपज, रॉयल्टी मुक्त निस्तार एवं काष्ठ विदोहन का 20 प्रतिशत लाभांश दिया जाता है। जैव विविधता के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय उद्यान और अमयारण्य के बफर क्षेत्र की सीमा से 5 कि.मी. की परिधि में स्थित ग्रामों में ईको विकास समिति गठित है। यह समितियाँ सामाजिक-आर्थिक उत्थान के कार्य में संलग्न हैं।

34 करोड़ का दिया गया लाभांश

जिलास्तर पर काष्ठ विदोहन से हुए शुद्ध लाभ 20 फीसदी वन प्रबंधन समितियों को 22 करोड़ 56 लाख रूपये की राशि दी गई। बाँस कटाई में संलग्न श्रमिकों को बाँस विदोहन से प्राप्त शुद्ध लाभ की राशि शत-प्रतिशत दी जाती है। इसमें 11 करोड़ 39 लाख रूपये का लाभांश दिया जा चुका है। इस तरह कुल 33 करोड़ 95 लाख रूपये का लाभांश वितरित किया जा चुका है।

बाँस रोपण से बढ़ी किसानों की आमदनी

प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि फसलों के साथ बाँस रोपण एक बेहतर विकल्प के रूप में लोकप्रिय हुआ है। इस वित्त वर्ष में 3597 किसानों ने 3228 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँस रोपण किया। जिस पर उन्हें पौने 7 करोड़ रूपये से ज्यादा का अनुदान दिया गया। स्व-सहायता समूहों को 'आत्म-निर्भर' बनाने के लिए मनरेगा में 83 स्व-सहायता समूह के माध्यम से 1020 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँस रोपण किया गया। अन्य योजनाओं में भी 1248 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँस रोपण किया गया। निजी क्षेत्र में मंजूर की गई 13 बाँस प्र-संस्करण इकाइयों में से 9 इकाई प्रारंभ हो चुकी है। इन इकाइयों को 1 करोड़ 68 लाख रूपये का अनुदान वितरित किया गया।

संग्राहको को 397 करोड़ रूपये की मिली मजदूरी

तेन्दूपत्ता संग्राहकों के बच्चों का सँवारा जा रहा भविष्य

इस वित्त वर्ष में शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए अब तक करीब एक हजार छात्र-छात्राओं को 9 करोड़ 88 लाख से ज्यादा की सहायता दी गई।

लघु वनोपज संघ द्वारा 'एकलव्य शिक्षा विकास योजना' के जरिए तेन्दूपत्ता संग्राहकों, फड़-मुंशी और प्रबंधकों के बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों में सहायता प्रदान कर उनका भविष्य सँवारा जा रहा है।

प्रदेश में तेन्दूपत्ता संग्रहण में 33 लाख संग्राहक जुड़े हैं। इनमें 44 फीसदी महिलाएँ हैं। अधिकत्तर संग्राहक अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़ा वर्ग के हैं। इन्हें लगभग एक माह का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। इन संग्राहकों को आर्थिक संबल देने के लिए तेन्दूपत्ता संग्रहण का पारिश्रमिक तथा प्रोत्साहन पारिश्रमिक बोनस के रूप में दिया जाता है। पिछले वर्ष 15 लाख 88 हजार मानक बोरा तेन्दूपत्ता संग्रहीत कर संग्राहकों को 397 करोड़ रूपये का पारिश्रकि दिया गया। वर्ष 2018 में संग्रहीत और तेन्दूपत्ते के व्यापार से हुए शुद्ध लाभ में से 183 करोड़ 31 लाख की राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में दी गई मुख्यमंत्री तेन्दूपत्ता संग्राहक सहायता योजना में इस वित्त वर्ष में अब तक 2 करोड़ 26 लाख 20 हजार रूपये की सहायता राशि वितरित की जा चुकी है।

32 लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित

86 वन-धन विकास केन्द्र

लघु वनोपज के संग्राहकों द्वारा संग्रहीत वनोपज का प्राथमिक उपचार कर सही मूल्य प्राप्त हो सके, इसके लिए वन-धन विकास योजना के तहत ट्राइफेड द्वारा पहले चरण में 13 जिलों में 86 वन-धन विकास केन्द्र स्थापित किए गए हैं। इनमें 10 स्व-सहायता समूह क्लस्टर का एक केन्द्र है। इसमें प्रत्येक स्व-सहायता समूह के 30 सदस्य रखे गए हैं। इससे 50 करोड़ रूपये का व्यापार संभावित है।

प्रदेश में 32 लघु वनोपजों का समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। खास बात यह है कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित दर के समकक्ष और कुछ वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भारत सरकार की दरों से भी ज्यादा है।

वन-धन विकास केन्द्र योजना

लघु वनोपज संग्राहकों द्वारा संग्रहीत वनोपज का प्राथमिक प्र-संस्करण एवं मूल्य संवर्धन द्वारा उचित मूल्य दिलाने के लिए यह अभिनव योजना शुरू की गई है। एक वन-धन केन्द्र में 300 संग्राहक हैं। राज्य लघु वनोपज संघ, क्रियान्वयन ऐजेन्सी है।

वन रोपणियों के पौधों से मिला 5 करोड़ का राजस्व

प्रदेश में वानिकी वृत्तों की 170 रोपणियाँ हैं। इन रोपणियों से 3 करोड़ 42 लाख पौधों की बिक्री और 50 लाख सागौन रूट-शूट की नीलामी से 4 करोड़ 99 लाख रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। इस वर्ष रोपण के लिए पौधा तैयारी का कार्य भी प्रगति पर है। रोपणियों के पौधों को ऑन-लाईन संधारण के लिए नर्सरी मैनेजमेन्ट विकसित किया गया है। कुछ रोपणियों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाए जाकर उनकी सुरक्षा और निगरानी की जा रही है।

निजी क्षेत्रों में वानिकी प्रोत्साहन

वनोपज की मांग और आपूर्ति के बढ़ते अन्तर को कम करने और किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए निजी भूमि पर वनीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्ष 2020 में गैर वन क्षेत्रों में विभिन्न प्रजाति के करीब सवा 6 लाख पौधों का रोपण कराया गया। आम लोगों को एम.पी. ऑन-लाईन के माध्यम से भी पौधे उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की गई है।

वन विकास

वनों की संवहनीयता बनाए रखने के लिए बिगड़े वनों का सुधार, वृक्षारोपण आदि कार्य किए जाते हैं। वर्ष 2020 में करीब पौने 6 करोड़ पौधे लगाए गए।

प्रदेश सरकार द्वारा अन्य राज्य सरकारों से संपर्क कर प्रदेश के बिगड़े वनों के सुधार में निवेश लाने का प्रयास किया जा रहा है। अण्डमान एवं निकोबार प्रशासन ने मध्यप्रदेश सरकार से बिगड़े वनों के सुधार के लिए वैकल्पिक वृक्षारोपण करने का अनुरोध किया है। इसके लिए तैयार की गई परियोजना से तकरीबन 40 हजार से अधिक हेक्टेयर बिगड़े वनों के सुधार में 1500 करोड़ रूपये उपलब्ध होंगें और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

वन संरक्षण

प्रदेश में वनों की अवैध कटाई को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा प्रतिबद्धता से कार्य किया जा रहा है। बीट प्रभारी के अलावा परिक्षेत्र सहायक से लेकर वन मण्डलाधिकारी स्तर तक के अधिकारी रोस्टर अनुसार वनों के अवैध रूप से काटे वृ्क्षों की जाँच कर आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही करते हैं। अपराधियों से निपटने के लिए 3157 बन्दूक और 286 रिवाल्वर उपलब्ध कराए गए हैं। चौदह अति संवेदनशील वन मण्डलों में विशेष सशक्त बल की 3 कंपनी के जवान,वन, वन्य-प्राणी एवं वन कर्मियों की सुरक्षा करते हैं। सभी 16 वन क्षेत्रों में उड़न दस्ता दल गठित है, जो समय-समय पर स्थानीय अमले को अतिरिक्त सुरक्षा-सहायता प्रदान करता है।

वन उत्पादन

राज्य में मुख्य रूप से साल, बाँस तथा अन्य मिश्रित प्रजातियों के वृक्ष मौजूद हैं। वानिकी वर्ष 2020-21 में अब तक एक लाख घन मीटर इमारती काष्ठ, 5 हजार जलाऊ चट्टे और 15 हजार नोशनल टन विक्रय इकाई बाँस का उत्पादन हुआ है।

निस्तार व्यवस्था

वनों की सीमा से 5 कि.मी. की परिधि में बसे परिवार को ही घरेलू उपयोग के लिए बाँस, छोटी ईमारती लकड़ी (बल्ली) हल, बक्खर बनाने की लकड़ी तथा जलाऊ लकड़ी रियायती दरों पर दी जाती है। स्वयं के उपयोग के लिए वनों से सिरबोझ द्वारा गिरी पड़ी, मरी और सूखी जलाऊ लकड़ी की सुविधा भी दी जा रही है। वर्ष 2020 में निस्तार के लिए 19 लाख 61 हजार नग बाँस, 16 हजार बल्ली और 51 हजार जलाऊ चट्टे ग्रामीणों को उपलब्ध कराए जाने के साथ ही 9 करोड़ 12 लाख रूपये की रियायत भी दी गई।

राजस्व आय में हुई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

प्रदेश में वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन के माध्यम से इस वित्त वर्ष में जनवरी 2021 तक की स्थिति में 1010 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हो चुका है। कोरोना जैसी महामारी और लॉक डाऊन के रहते राजस्व अर्जित करने के मामले में यह उपलब्धि विशेष मायने रखती है।

वन भूमि व्यपवर्तन

वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अंतर्गत वर्ष 2020 में 46 प्रकरणों में भारत सरकार से 2685.547 हेक्टेयर वन भूमि की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इसी अवधि में 15 प्रकरण में 1117.239 हेक्टेयर वन भूमि व्यपवर्तन की सैद्धान्तिक सहमति भी प्राप्त हो चुकी है।

वानिकी से अगले साल मिलेगा लाखों लोगों को रोजगार

अगले वित्तीय वर्ष में विभिन्न वानिकी कार्य वृक्षारोपण, पुनर्त्पादन, उत्पादन, वन सुरक्षा, लघु वनोपज का संग्रहण, भण्डारण एवं ईको पर्यटन, होम स्टे आदि से करीब पौने 8 लाख व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराने का संकल्प है।

क्रमांक/1101/मार्च-246/मनोज

 

कोरोना पॉजिटिव के नजदीकी संपर्क में आने वालों को भी करें होम आइसोलेट

दो घंटे से अधिक चली वर्चुअल मीटिंग में कलेक्टर ने की

कोरोना संक्रमण की रोकथाम के उपायों की समीक्षा

कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराने के दिये निर्देश

जबलपुर, 19 मार्च 2021

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने कोरोना संक्रमण पर काबू पाने कांटेक्ट ट्रेसिंग पर विशेष ध्यान देने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम कांटेक्ट ट्रेसिंग के पहलू पर मजबूती से अमल कर सके तो एक बार फिर कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने में कामयाब हो सकेंगे। श्री शर्मा आज अपने निवास से वर्चुअल मीटिंग के जरिए जिले में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति तथा कोरोना की रोकथाम एवं बचाव के लिए अपनाये जा रहे उपायों की समीक्षा कर रहे थे। दो घंटे से अधिक समय तक चली इस वर्चुअल मीटिंग से निगर निगम आयुक्त संदीप जीआर, अपर कलेक्टर हर्ष दीक्षित, जिला पंचायत की सीईओ रिजु बाफना, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रत्नेश कुररिया सभी एसडीएम, तहसीलदार, बीएमओ जनपद पंचायतों के सीईओ एवं नगर निगम के संभागीय अधिकारी तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के सीडीपीओ जुड़े थे।

कलेक्टर ने वर्चुअल मीटिंग में अधिकारियों से कहा कि कोरोना संक्रमण से निपटने एक बार फिर हमें बीते अगस्त और सितंबर माह की तरह आक्रामक रणनीति अपनानी होगी। उन्होंने कोरोना पॉजिटीव मरीजों के नजदीकी संपर्क में आने वाले व्यक्तियों अथवा उनके परिवार के सदस्यों को घर में ही आइसोलेट करने पर जोर दिया, ताकि संक्रमण को बढऩे से रोका जा सके। श्री शर्मा ने कहा कि वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि रोज आ रहे कोरोना मरीजों में ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा दिखाई  दे रही है जिनके परिवार का कोई न कोई सदस्य अथवा नजदीकी संपर्क में रहा व्यक्ति एक-दो दिन  पहले कोरोना संक्रमित हो चुका है।

कलेक्टर ने जिले के शहरी क्षेत्र के साथ-साथ कोविड टेस्ट के लिए सेम्पल साइज बढ़ाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव के उपायों के प्रति लोगों को जागरूक करने प्रचार-प्रसार की गतिविधियां भी बढ़ानी होंगी। श्री शर्मा ने रोको-टोको अभियान को अग्रेसिव मोड पर चलाने के निर्देश देते हुए कहा कि लोगों को मास्क पहनने, फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने और अनावश्यक घर से बाहर न निकलने की समझाइश भी दी जाये। उन्होंने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने वालों पर सख्त कार्यवाही करने के निर्देश देते हुए सभी एसडीएम, तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों से कहा कि अपने-अपने क्षेत्र का नियमित रूप से भ्रमण करें और ऐसे दुकानदारों पर भी कार्यवाही करें जो अपने प्रतिष्ठान पर ग्राहकों के बीच फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करा रहे हैं। उन्होंने ऐसी दुकानें को सील करने तथा दुकानदार के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने की बात भी कही।

कलेक्टर ने कोरोना पॉजिटिव मिले व्यक्ति के घर पर पोस्टर लगाने के निर्देश भी दिये ताकि आसपास रहने वाले सतर्क हो सकें। उन्होंने होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना मरीजों से कोरोना कंट्रोल रूम के जरिए नियमित रूप से संपर्क रखने की आवश्यकता भी बताई। श्री शर्मा ने जिले के शहरी, अद्र्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले हाट बाजारों में भी फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कराने सभी जरूरी कदम उठायें जाने के निर्देश अधिकारियों को दिये।

कलेक्टर ने एसडीएम और तहसीलदारों से कहा कि वे कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने के कार्य में पुलिस एवं स्वयंसेवी संगठनों का सहयोग लें। उन्होंने कहा कि कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करायें लेकिन इससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित न हो अथवा दुकानदारों को नुकसान न हो इसका भी ध्यान रखें। श्री शर्मा ने कहा कि कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने पर पहले बड़े दुकानदारों के विरूद्ध पहले कार्यवाही की जानी चाहिए। श्री शर्मा ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों एवं उनके करीबी संपर्क में आने वाले लोगों की सार्थक पोर्टल पर एंट्री करने के निर्देश भी दिये। उन्होंने कोरोना कंट्रोल रूम के माध्यम से ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित करने की बात कही जहां ज्यादा संख्या में कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं। श्री शर्मा ने कहा कि ऐसे क्षेत्रों में जरूरत पडऩे पर माइक्रो कंटेनमेंट जोन भी बनायें। कलेक्टर ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में सभी फीवर क्लीनिक को भी एक्टिव करने पर जोर दिया तथा रेपिड रिस्पांस टीमों, मेडिकल मोबाइल यूनिट एवं वार्डवार गठित टीमों को भी अपने-अपने क्षेत्रों का लगातार भ्रमण करने के निर्देश दिये। उन्होंने निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के उपचार के लिए आरक्षित बिस्तरों की संख्या, बेड आक्यूपेंसी एवं ऑक्सीजन की उपलब्धता की दिन प्रतिदिन की रिपोर्ट लेने की आवश्यकता भी बताई।

कलेक्टर ने वर्चुअल मीटिंग में कोविड वेक्सीनेशन की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने कोरोना के टीके लगाने के लिए जन-जागरूकता पैदा करने के निर्देश देते हुए कहा कि लोगों को यह समझाना होगा कि मास्क, फिजिकल डिस्टेंसिंग के अलावा वेक्सीन लगवाना ही कोरोना से बचने का उपाय है। उन्होंने कोरोना के टीके लगाने के निर्धारित लक्ष्य को हर हालत में प्राप्त करने की हिदायत देते हुए सभी एसडीएम से कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्र में वेक्सीनेशन की स्थिति पर नजर रखें।

क्रमांक/1102/मार्च-247/जैन